इंदौर की ऐतिहासिक धरोहर को दिया किराए पर

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इंदौर के ऐतिहासिक गांधी हॉल किराए पर दे दिया है। स्मार्ट सिटी द्वारा टेंडर निकाल कर एक निजी कंपनी को लीज पर दिया गया है इसके एवज में कंपनी प्रतिवर्ष नगर निगम को 50 लाख रुपए देंगे। वहीं गांधी हाल में होने वाले आयोजनों के लिए बुकिंग आदि का निर्णय अब निजी कंपनी द्वारा किया जाएगा और किराया का निर्धारण भी वही करेंगे।

नगर निगम के फैसले को लेकर आमजन में आक्रोश है। पूर्व लोकसभा स्पीकर और आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन भी निगम के इस फैसले के विरोध में उतर आई हैं। उनका कहना है कि 119 वर्ष पुरानी इस विरासत को नगर निगम को खुद सहेजना चाहिए। इस तरह ऐतिहासिक महत्व की इमारत को निजी हाथों में सौंपना किसी हाल में स्वीकार्य नहीं है। नगर निगम को लगता है कि उसके लिए गांधी हाल का रखरखाव करना संभव नहीं है तो वह इसकी जिम्मेदारी किसी सामाजिक संस्था को सौंप सकता है, लेकिन इस तरह निजी हाथों में सौंपना गलत है।

ताई ने कहा कि यह हमारी धरोहर है। ये ऐसे ही किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं सौंपा जा सकता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर क्या पूरी सिटी ही किसी को दे दोगे। नगर निगम को पार्षदों की कमेटी बनाकर इसके संचालन की जिम्मेदारी देनी चाहिए। जनता निजीकरण का विरोध करेगी तो मैं उनके साथ हूं। यह धरोहर जनता की है। ये ज्यादा से ज्यादा लोगों के उपयोग में कैसे आ सकती है, उसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। हम हमारी धरोहर को बाहरी लोगों के हाथों में नहीं जाने दे सकते हैं।

इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा गोपाल मंदिर, राजवाड़ा और गांधी हॉल जैसे ऐतिहासिक धरोहरो के रखरखाव करने और उनके पुनरुद्धार पर करोड़ों रुपए खर्च किया गया है। ऐतिहासिक इमारतों को सवारने के बाद अब स्मार्ट सिटी कंपनी ने अंग्रेज कालीन गांधी हाल को उज्जैन की एक निजी कंपनी को किराए पर दे दिया है इससे प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए की आय होगी। जबकि गांधी हाल परिसर में होने वाले आयोजनों के लिए किराया तथा कार्यक्रमों की स्वीकृति आदि के लिए निजी कंपनी द्वारा ही तय किया जाएगा।

गांधी हॉल को लीज पर देने के मामले में आम आदमी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है और 119 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत को निजी हाथों में सौंपने का विरोध किया है। आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि 6 करोड़ 26 लाख रुपए सरकारी राशि खर्च करने के बाद गांधी हाल को निजी कंपनी को सौपना उचित निर्णय नहीं है।

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